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स्वर्गाश्रम ट्रस्ट द्वारा 108 स्वामी आत्मप्रकाश जी का 94वां ब्रह्मनिर्वाणोत्सव का हर्षोल्लास के साथ हुआ समापन

जनाधार न्यूज, ऋषिकेश 04/03/2023 :

स्वर्गाश्रम ट्रस्ट के संस्थापक 108 बाबा काली कमली वाले स्वामी आत्म प्रकाश जी महाराज का 94वां ब्रह्मनिर्वाणोत्सव दिव्यता और भव्यता के साथ मनाया गया।

इस अवसर पर रामायण पाठ का समापन, हवन, पूजन, आरती के बाद भव्य शोभायात्रा नगर के प्रमुख मार्गो गीता भवन, परमार्थ निकेतन, वानप्रस्थ आश्रम सहित शहर के गणमान्य लोगों के साथ बैंड बाजे के साथ निकाली गई। शोभा यात्रा के आगे दो घुड़सवार घोड़े पर सवार होकर आगे आगे चल रहे थे और अंग्रेजी बाजा की धुन एवं धार्मिक भजनों पर लोग बाबा जी की जय कारे लगा रहे थे। नगर भ्रमण के बाद बाबा जी की सवारी गद्दी पर पहुंची जहां शहर के गणमान्य लोगों ने बाबा जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
देश के कोने-कोने से आए भक्तों ,साधु-संतों ने हजारों की संख्या में बाबा जी के महानिर्वाणोत्सव पर प्रसाद ग्रहण किया।

सांय 4:00 बजे संतो के सानिध्य में सत्संग का आयोजन किया गया।
सत्संग भवन में मुख्य वक्ता के रूप में परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर असंगानंद सरस्वती जी महाराज ने प्रतिभाग किया।


कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री राम पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर दयाराम दास जी महाराज ने किया। वक्ताओं ने कहा कि बाबा काली कमली वाले 108 स्वामी आत्म प्रकाश जी महाराज सदैव दूसरों के लिए, जीवो के लिए परोपकार की भावना से जीते रहे। परोपकार से मानव को अलौकिक आनन्द की अनुभूति होती है। इसका अनुभव सहज में ही किया जा सकता है। यदि हम किसी व्यक्ति को संकट से उबारें, किसी भूखे को भोजन दें अथवा किसी नंगे व्यक्ति को वस्त्र दें तो इससे हमें स्वाभाविक आनन्द की प्राप्ति होगी। हमारी संस्कृति में परोपकार को पुण्य तथा परपीड़न को पाप माना गया है

‘परोपकाराय पुण्याय पापाय परपीडनम्’

परोपकार के विभिन्न रूप–
परोपकार की भावना अनेक रूपों में प्रकट होती दिखाई पड़ती है। धर्मशालाओं, धर्मार्थ औषधालयों एवं जलाशयों आदि का निर्माण तथा भूमि, भोजन, वस्त्र आदि का दान परोपकार के ही विभिन्न रूप हैं। इनके पीछे सर्वजन हिताय एवं प्राणिमात्र के प्रति प्रेम की भावना निहित रहती है।

परोपकार की भावना केवल मनुष्यों के कल्याण तक ही सीमित नहीं है, इसका क्षेत्र समस्त प्राणियों के हितार्थ किए जानेवाले समस्त प्रकार के कार्यों तक विस्तृत है। बाबा जी ने गायों के संरक्षण के लिए गोशालाओं तथा पशुओं के जल पीने के लिए हौजों का निर्माण कराते हैं। यहाँ तक कि बहुत–से लोग बन्दरों को चने खिलाते हैं तथा चींटियों के बिलों पर शक्कर अथवा आटा डालते हुए दिखाई पड़ते हैं।

परोपकार में ‘सर्वभूतहिते रतः’ की भावना विद्यमान है। गम्भीरतापूर्वक विचार किया जाए तो संसार के सभी प्राणी परमपिता परमात्मा के ही अंश हैं; अत: हमारा यह परम कर्त्तव्य है कि हम सभी प्राणियों के हित–चिन्तन में रत रहें। यदि सभी लोग इस भावना का अनुसरण करें तो संसार से शीघ्र ही दुःख एवं दरिद्रता का लोप हो जाएगा।


स्वामी जी ने उत्तराखंड के चार धाम में जाने वाले यात्रियों को की पीड़ा को समझा और उनके लिए पैदल जाने वाले यात्रियों के लिए जगह-जगह व्यवस्था बनाई. लोगों के खाने पीने रहने की व्यवस्था की। जो आज भी स्वर्ग आश्रम ट्रस्ट के नाम से उत्तराखंड में यात्रियों , भिखारियों, साधु-संतों के लिए अन्न की व्यवस्था, रहने की व्यवस्था और साधु-संतों के लिए कुटिया का निर्माण कर उनकी लगातार सेवा की जा रही है। बाबाजी के देखे हुए सपनों को स्वर्गाश्रम ट्रस्ट साकार कर रहा है।
आज के कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रबंधक वी के के श्रीवास्तव, उप प्रबंधक जयेश कुमार झा, उप प्रबंधक रुदल यादव, कोषाध्यक्ष अनिल तिवारी, अजय त्रिपाठी, सुभाष नौटियाल ,राजेंद्र चमोली, विजय, हरपाल सिंह नेगी, गोपाल, सत्य प्रकाश बहुगुणा, सहित महंत मनोज द्विवेदी, इंद्र प्रकाश अग्रवाल, भानु मित्र शर्मा, नारायण सिंह राणा, विजेंद्र वर्मा, शकुंतला राजपूत, रमेश जोशी, उमाशंकर शर्मा, केपी शर्मा, पार्वती नेगी सोहन लाल गुर्जर राजस्थान से, मध्य प्रदेश सूरत सिंह गुर्जर ,नगर पंचायत अध्यक्ष माधव अग्रवाल, नारायण सिंह, लक्ष्मी , विवेक श्रीवास्तव, रवि श्रीवास्तव, महेश नौटियाल, विनय कोठियाल, अनुप कोठियाल, लक्ष्मण सिंह ,प्रवीण सिंह ,रामेश्वर थपलियाल, यशपाल सिंह, कृष्ण किशोर नौटियाल, विवेक चौहान, सुनील कुमार, सतीश रावत, उत्तम सिंह, जितेंद्र बलूनी, मोहन चौधरी, रामदयाल, सुनील तिवारी, भीम सिंह, सुरेश, लाल बहादुर सिंह, विनोद बगियाल, आदेश तोमर सहित तमाम लोग उपस्थित थे।

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