धर्म-कर्मराशिफल

*आज आपका राशिफल एवं प्रेरक प्रसंग -परहित-सबसे बड़ा धर्म*

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📜««« *आज का पंचांग* »»»📜
कलियुगाब्द……………………5125
विक्रम संवत्…………………..2080
शक संवत्……………………..1945
मास……………………………अश्विन
पक्ष……………………………..शुक्ल
तिथी……………………………..षष्ठी
रात्रि 11.22 पर्यंत पश्चात सप्तमी
रवि……………………….दक्षिणायन
सूर्योदय………..प्रातः 06.25.01 पर
सूर्यास्त………..संध्या 05.58.40 पर
सूर्य राशि……………………….त्तुला
चन्द्र राशि………………………..धनु
गुरु राशि…………………………मेष
नक्षत्र…………………………….मूल
रात्रि 08.30 पर्यंत पश्चात पूर्वाषाढ़ा
योग………………………….अतिगंड
रात्रि 02.58 पर्यंत पश्चात सुकर्मा
करण………………………….कौलव
प्रातः 11.59 पर्यंत पश्चात तैतिल
ऋतु……………………….(इष) शरद
दिन…………………………..शुक्रवार

🇬🇧 *आंग्ल मतानुसार :-*
20 अक्तूबर सन 2023 ईस्वी ।

☸ शुभ अंक………………….2
🔯 शुभ रंग……………आसमानी

⚜️ *अभिजीत मुहूर्त :-*
दोप 11.48 से 12.34 बजे तक ।

👁‍🗨 *राहुकाल (अशुभ) :-*
प्रात: 10.45 से 12.11 तक ।

🚦 *दिशाशूल :-*
पश्चिमदिशा – यदि आवश्यक हो तो जौ का सेवन कर यात्रा प्रारंभ करें।

🌞 *उदय लग्न तालिका -*
*तुला*
06:17:31 08:37:25
*वृश्चिक*
08:37:25 10:56:21
*धनु*
10:56:21 13:00:41
*मकर*
13:00:41 14:43:16
*कुम्भ*
14:43:16 16:10:57
*मीन*
16:10:57 17:36:09
*मेष*
17:36:09 19:11:38
*वृषभ*
19:11:38 21:07:30
*मिथुन*
21:07:30 23:22:30
*कर्क*
23:22:30 25:43:12
*सिंह*
25:43:12 28:00:52
*कन्या*
28:00:52 30:17:31

✡ *चौघडिया :-*
प्रात: 07.53 से 09.19 तक लाभ
प्रात: 09.19 से 10.44 तक अमृत
दोप. 12.10 से 01.36 तक शुभ
सायं 04.27 से 05.53 तक चंचल
रात्रि 09.01 से 10.36 तक लाभ ।

📿 *आज का मंत्रः*
|| ॐ ऋषिकेशाय नम: ||

📢 *सुभाषितानि :-*
*श्रीमद्भगवतगीता (तृतीयोऽध्यायः – कर्मयोगः) -*
सक्ताः कर्मण्यविद्वांसो यथा कुर्वन्ति भारत।
कुर्याद्विद्वांस्तथासक्त- श्चिकीर्षुर्लोकसंग्रहम्॥३-२५॥
अर्थात :
हे भारत! कर्म में आसक्त हुए अज्ञानीजन जिस प्रकार कर्म करते हैं, आसक्तिरहित विद्वान भी लोकसंग्रह करना चाहता हुआ उसी प्रकार कर्म करे॥25॥

🍃 *आरोग्यं :-*
*घरेलु नुस्खे :*
*मुख की दुर्गन्ध दूर करने का उपाय -*

*4. तुलसी की पत्तियां -*
तुलसी को एक पवित्र पौधा माना गया है लेकिन इसके आयुर्वेदिक और औषधीय गुण अनेक है। यह आपके दांत और मुंह के लिए बहुत ही गुणकारी है। तुलसी की पत्तियों को चबाने से दांत गिरने की समस्या को रोका जा सकता है।
इसके अलावा तुलसी की पत्ती चबाने से मुंह की बदबू भी दूर हो जाती है। साथ ही मुंह में अगर कोई घाव है तो तुलसी उसके लिए भी लाभकारी है।

⚜ *आज का राशिफल :-*

🐐 *राशि फलादेश मेष :-*
*(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)*
भागदौड़ अधिक रहेगी। मेहनत अधिक होगी। लाभ में कमी रह सकती है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। व्यवसाय-व्यापार मनोनुकूल चलेगा। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा, सावधानी रखें। बुरी खबर मिल सकती है। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। आय बनी रहेगी।

🐂 *राशि फलादेश वृष :-*
*(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)*
नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। शत्रु तथा ईर्ष्यालु व्यक्तियों से सावधानी आवश्यक है। समय की अनुकूलता है। मेहनत का फल मिलेगा। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। निवेश शुभ रहेगा। सामाजिक कार्य करने का मन लगेगा। मान-सम्मान मिलेगा।

👫🏻 *राशि फलादेश मिथुन :-*
*(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)*
उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। फालतू खर्च होगा। स्वास्थ्य कमजोर रह सकता है। आत्मसम्मान बना रहेगा। भाइयों का सहयोग मिलेगा। कारोबार से लाभ होगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा। पुरानी संगी-साथियों से मुलाकात होगी। जल्दबाजी न करें। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे।

🦀 *राशि फलादेश कर्क :-*
*(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)*
शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड से मनोनुकूल लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव वृद्धि होगी। कोई बड़ा काम होने से प्रसन्नता रहेगी। भेंट व उपहार की प्राप्ति संभव है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। जल्दबाजी न करें। उत्साह रहेगा।

🦁 *राशि फलादेश सिंह :-*
*(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)*
आय में वृद्धि होगी। अपने काम से काम रखें। लाभ के अवसर मिलेंगे। विवेक का प्रयोग करें। हल्की मजाक करने से बचें। अपेक्षित काम में विलंब होगा। बेकार की बातों पर ध्यान न दें। दुष्टजनों से सावधानी आवश्यक है। फालतू खर्च पर नियंत्रण नहीं रहेगा।

🙎🏻‍♀️ *राशि फलादेश कन्या :-*
*(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)*
नए उपक्रम प्रारंभ करने संबंधी योजना बनेगी। डूबी हुई रकम प्राप्त होगी। व्यापार-व्यवसाय से मनोनुकूल लाभ होगा। यात्रा लाभदायक रहेगी। नौकरी में प्रशंसा मिलेगी। जल्दबाजी से काम बिगड़ सकते हैं। संतान पक्ष से बुरी खबर मिल सकती है।

⚖ *राशि फलादेश तुला :-*
*(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)*
कार्यस्थल पर परिवर्तन हो सकता है। कारोबार मनोनुकूल लाभ देगा। सामाजिक कार्य करने में मन लगेगा। योजना फलीभूत होगी। मान-सम्मान मिलेगा। स्वास्थ्‍य का ध्यान रखें। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। शेयर मार्केट, म्युचुअल फंड से लाभ होगा। आय में वृद्धि होगी।

🦂 *राशि फलादेश वृश्चिक :-*
*(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)*
प्रसन्नता बनी रहेगी। पूजा-पाठ में मन लगेगा। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। सत्संग का लाभ मिलेगा। राजकीय बाधा दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। परिवार तथा मित्रों का सहयोग मिलेगा। चोट व रोग से कष्ट हो सकता है। बेचैनी रहेगी। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी।

🏹 *राशि फलादेश धनु :-*
*(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)*
किसी व्यक्ति विशेष से कहासुनी हो सकती है। स्वाभिमान को ठेस पहुंच सकती है। चोट व दुर्घटना से बड़ी हानि हो सकती है। पुराना रोग उभर सकता है। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। दौड़धूप रहेगी। नकारात्मकता हावी रहेगी। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें।

🐊 *राशि फलादेश मकर :-*
*(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)*
सरकारी कामों में सहूलियत होगी। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। घर में सुख-शांति रहेंगे। यात्रा लाभदायक रहेगी। पार्टनरों से सहयोग मिलेगा। झंझटों में न पड़ें। राजकीय सहयोग मिलेगा। कारोबारी अनुबंध हो सकते हैं। लाभ के अवसर हाथ आएंगे।

🏺 *राशि फलादेश कुंभ :-*
*(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)*
ऐश्वर्य के साधनों पर खर्च होगा। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। शारीरिक कष्ट संभव है। भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। विवेक से कार्य करें। मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। स्थायी संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे।

🐋 *राशि फलादेश मीन :-*
*(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)*
रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बनेगा। आनंद के साथ समय व्यतीत होगा। व्यापार मनोनुकूल लाभ देगा। आशंका-कुशंका से बाधा होगी। किसी व्यक्ति से बहस हो सकती है। नौकरी में प्रभाव वृद्धि होगी। मनपसंद व्यंजनों का लाभ मिलेगा।

*🍁 परहित-सबसे बड़ा धर्म 🍁*

एक बार भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन भ्रमण के लिए कहीं निकले थे तो उन्होंने मार्ग में एक निर्धन ब्राह्मण को भिक्षा मांगते देखा तो अर्जुन को उस पर दया आ गयी और उन्होंने उस ब्राह्मण को स्वर्ण मुद्राओ से भरी एक पोटली दे दी जिसे पाकर ब्राह्मण प्रसन्नता पूर्वक अपने सुखद भविष्य के सुन्दर स्वप्न देखता हुआ घर की ओर लौट चला किन्तु उसका दुर्भाग्य उसके साथ चल रहा था राह में एक लुटेरे ने उससे वो पोटली छीन ली ।बेचारा वह ब्राह्मण दुखी होकर फिर से भिक्षावृत्ति में लग गया।

अगले दिन फिर अर्जुन की दृष्टि जब उस ब्राह्मण पर पड़ी तो उन्होंने उससे इसका कारण पूछा ब्राह्मण ने सारा विवरण अर्जुन को बता दिया उसकी व्यथा सुनकर अर्जुन को फिर से उस पर दया आ गयी अर्जुन ने अपने मन में विचार किया और इस बार उन्होंने ब्राह्मण को एक मूल्यवान एक माणिक दे दिया ब्राह्मण उसे लेकर घर पंहुचा। उसके घर में एक पुराना घड़ा था जो बहुत समय से प्रयोग नहीं किया गया था।

ब्राह्मण ने चोरी होने के भय से माणिक उस घड़े में छुपा दिया किन्तु उसका दुर्भाग्य दिन भर का थका मांदा होने के कारण उसे नींद आ गयी इस बीच ब्राह्मण की स्त्री नदी में जल लेने चली गयी किन्तु मार्ग में ही उसका घड़ा टूट गया उसने सोचा घर में जो पुराना घड़ा पड़ा है उसे ले आती हूँ ऐसा विचार कर वह घर लौटी और उस पुराने घड़े को ले कर चली गई और जैसे ही उसने घड़े को नदी में डुबोया वह माणिक भी जल की धारा के साथ बह गया ब्राह्मण को जब यह बात पता चली तो अपने भाग्य को कोसता हुआ वह फिर भिक्षावृत्ति में लग गया।

अर्जुन और श्री कृष्ण ने जब फिर उसे इस दरिद्र अवस्था में देखा तो जाकर उसका कारण पूछा सारा वृतांत सुनकर अर्जुन को बड़ी हताशा हुई और मन ही मन सोचने लगे इस अभागे ब्राह्मण के जीवन में कभी सुख नहीं आ सकता उसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने कुछ विचार कर ब्राह्मण को दो पैसे दान में दिए यह देख अर्जुन ने उनसे पुछा “प्रभु मेरी दी मुद्रायें और माणिक भी इस अभागे की दरिद्रता नहीं मिटा सके तो इन दो पैसों से इसका क्या होगा।

यह सुनकर प्रभु बस मुस्कुरा भर दिए और अर्जुन से उस ब्राह्मण के पीछे जाने को कहा रास्ते में ब्राहमण सोचता हुआ जा रहा था कि दो पैसों से तो एक व्यक्ति के लिए भी भोजन भी नहीं आएगा फ़िर भी प्रभु ने उसे इतना तुच्छ दान क्यों दिया प्रभु की यह कैसी लीला है।

ऐसा विचार करता हुआ वह चला ही जा रहा था कि उसकी दृष्टि एक मछुवारे पर पड़ी उसने देखा कि मछुवारे के जाल में एक मछली फँसी है और वह छूटने के लिए तड़प रही है।

ब्राहमण को उस मछली पर दया आ गयी। उसने सोचा इन दो पैसों से पेट की आग तो बुझेगी नहीं तो क्यों न इस मछली के प्राण ही बचा लिए जायें.?

यह सोचकर उसने दो पैसों में उस मछली का सौदा कर लिया और मछली को अपने कमंडल में डाल लिया कमंडल में जल भरा और मछली को नदी में छोड़ने चल पड़ा तभी मछली के मुख से कुछ निकला उस निर्धन ब्राह्मण ने देखा वह वही माणिक था जो उसने घड़े में छुपाया था ब्राहमण प्रसन्नता के मारे चिल्लाने लगा “मिल गया मिल गया ”तभी भाग्यवश वह लुटेरा भी वहाँ से गुजर रहा था जिसने ब्राहमण की मुद्रायें लूटी थी उसने ब्राह्मण को चिल्लाते हुए सुना मिल गया मिल गया तो लुटेरा भयभीत हो गया उसने सोचा कि ब्राह्मण उसे पहचान गया है और इसीलिए चिल्ला रहा है अब जाकर राजदरबार में उसकी शिकायत करेगा इससे डर कर वह ब्राह्मण से रोते हुए क्षमा मांगने लगा और उससे लूटी हुई सारी मुद्रायें भी उसे वापस कर दी यह देख अर्जुन प्रभु के आगे नतमस्तक हुए बिना नहीं रह सके अर्जुन बोले प्रभु यह कैसी लीला है,,जो कार्य थैली भर स्वर्ण मुद्राएँ और मूल्यवान माणिक नहीं कर सका वह आपके दो पैसों ने कर दिखाया।

श्रीकृष्ण ने कहा हे अर्जुन यह अपनी सोच का अंतर है जब तुमने उस निर्धन को थैली भर स्वर्ण मुद्राएँ और मूल्यवान माणिक दिया तब उसने स्वार्थवश मात्र अपने सुख के विषय में ही सोचा किन्तु जब मैंने उसको दो पैसे दिए तब उसने दूसरे के दुःख को भी अनुभव किया।

*सत्य तो यह है कि जब आप दूसरों के दुःख के विषय में सोचते हैं और जब आप दूसरे किसी जीव का भला कर रहे होते हैं तब आप ईश्वर का कार्य कर रहे होते हैं और तब ईश्वर आपके साथ होते हैं क्योंकि परहित से बड़ा कोई धर्म नहीं है..!!*

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